9वें दिन भी जारी रहा देवभूमि सिविल सोसायटी का धरना

हरिद्वार। देवभूमि सिविल सोसायटी द्वारा उत्तराखंड में शराब कारखाने लगाने जाने के विरोध में चल रहा धरना व क्रमिक अनशन 9वें दिन भी जारी रहा। मंगलवार को चिन्हित राज्य आंदोलनकारी समिति के केंद्रीय अध्यक्ष जेपी पांडे एवं समिति की अचिन्हित महिला प्रकोष्ठ की केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष सरिता पुरोहित के नेतृत्व में चंद्रावती गौड़, धर्मपाल भारती, कमला पांडे, महेश कुमार, जगमोहन सिंह नेगी, हिमांशु, कामरेड भगवान जोशी, हेमराज सैनी, दिनेश धीमान, केशव देव सेमवाल, साधना नवानी, बसंती पटवाल, भगवती बिष्ट, किरण बिष्ट, राजेश गुप्ता, धर्मराज सैनी, आरडी मौर्य, रविंद्र भट्ट, जगदीप असवाल, आनंद सिंह नेगी, महिपाल सिंह रावत, सूरज नेगी, चंद्रेश कुमार आदि अनशन पर बैठे। धरने को संबोधित करते हुए जेपी पाण्डे ने कहा कि उत्तराखण्ड के युवाओं को शराब नहीं रोजगार चाहिए। शराब कारखाने लगने से गंगा की पवित्रता को भी खतरा उत्पन्न हो जाएगा। राज्य के निवासियों की भावनाओं का सम्मान प्रदेश सरकार को करना चाहिए। जल्द से जल्द राज्य हित में शराब कारखाने लगाने के निर्णय को वापस लिया जाए। जेपी बड़ोनी व पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि सरकार की उदासीनता साफतौर पर नजर आ रही है। नौ दिन बीतने के बाद भी आज तक शासन प्रशासन ने धरने पर बैठे लोगों की कोई सुध नहीं ली है। राज्य सरकार को तत्काल इस निर्णय को वापस लेना चाहिए। राज्य के युवाओं को शराब की जगह रोजगार उपलब्ध कराए जाएं। प्रदेश का पलायन रोकने के लिए शराब कारखाने नहीं बल्कि अन्य उद्योग लगाए जाने चाहिए। राज्य की जनता रोजगार चाहती है। लेकिन सरकार शराब माफियाओं के दबाव में ऐसे गलत फैसले ले रही है। जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। लगातार बड़ी संख्या में संत समाज भी धरने को अपना समर्थन देता चला आ रहा है। सरिता पुरोहित ने कहा कि प्रदेश की जनता समस्याओं के निराकरण होने चाहिए। विकास का पथ जनता के अनुरूप किया जाए। शराब उत्तराखण्ड में पूर्ण रूप से प्रतिबंधित करने की आवश्यकता है। स्वामी अंश चैतन्य महाराज ने कहा कि देवभूमि की मान मर्यादाओं का ध्यान सरकार को रखना होगा। पर्वतीय क्षेत्रों मे ंशराब कारखाने लगाने का निर्णय सरासर गलत है। इस निर्णय को तुरंत वापस लिया जाए।