मोहर्रम पर सुपुर्दे खाक किए ताजिए

हरिद्वार। उपनगरी ज्वालापुर के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में पैगम्बर मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन की याद में ताजिए निकाले गए। सुपुर्दे खाक से पूर्व अकीदतमंदों के दीदार के लिए ताजियों को मुख्य जगहों पर रखा गया। मोहर्रम की दस तारीख को करबला के मैदान में हजरत इमाम हुसैन अपने 72 जांनिसारों के साथ हक एवं इस्लाम तथा इंसानियत की खातिर जंग में जालिम बादशाह यजीद से लड़ते हुए शहीद हो गए थे। उपनगरी ज्वालापुर के मोहल्लों में करबला की रंजो गम की याद को ताजा करते हुए खिलाडि़यों ने सलामी पेश कर अखाड़ा खेला। लाठी, डंडो, तलवारबाजी, बरेटी, गदका, चक्र घुमाना, आग के खेल आदि के रोमांचक करबत पेश किए। मोहल्ला मैदानियान, घोसियान, अहबाब नगर, केतवाड़ा, तेलियान, मण्डी का कुंआ, मंसूरियों की बैठक, पीरजियों की गली, कोटरवान, लोधा मण्डी आदि के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में ताजिया जुलूस निकाले गए। बड़ी संख्या में अखाड़े के उस्तादों ने ताजियों के समक्ष सलामी पेश कर अखाड़े के खिलाडि़यों का उत्साह बढ़ाया। देर रात ताजियों का जुलूस भारी पुलिस बल की मोजदूगी में विभिन्न क्षेत्रों से निकाला गय। मोहल्ला कोटरवान में बड़ा अखाड़ा इमदाद खां का रस्म पगड़ी कार्यक्रम आयोजित किया गया। उस्ताद खलीफाओं ने अखाड़े की परंपराओं का पालन करते हुए हरबे लोबान देकर सलामी दी। उत्साद इकराम खां व खलीफा सुलेमान खां ने अखाड़े शुरूआत कराते हुए बताया कि 1963 से बड़ा अखाड़ा इमदाद खां के बैनर तले करबला के युद्ध की कला को ताजा करते हुए अखाड़े के खिलाड़ी तलवार बाजी, गदका, बरेटी, मुसल, चरखा व लाठी डंडों के करतबों से उस्तादों को सलामी देते हैं। खलीफा साजिद खां ने बताया कि बुजुर्गो की दुआओं से अखाड़े की शुरूआत की जाती है। उन्होंने बताया कि मोहर्रम के अवसर पर अखाड़े के खिलाड़ी अपनी कला को प्रदर्शित करते हैं। मोहर्रम की दस तारीख को उपनगरी ज्वालापुर में भव्य ताजिया यात्रा निकाली गयी। ताजिया जुलूस कोटरवान से शरीफ चौक, मंगत चौक, पुरानी बकरा मार्केट, गुरूद्वारा रोड़ से होता हुआ जुमा मस्जिद पहुंचा। जहां अखाड़े के खिलाड़ी अपने करतब दिखाएंगे। इसके बाद सिराज धर्मशाला पर अखाड़े की टीम का स्वागत उस्तादों व खलीफाओं द्वारा किया गया। रफी खां ने बताया कि 1963 से लगातार अखाड़ा इमदाद खां अपने बुजुर्गो के समय से स्थापित रस्मों का पालन करता चला आ रहा है। युवाओं को अखाड़ा खेलने का प्रशिक्षण भी खलीफाओं व उस्तादों द्वारा दिया जाता है। जुलूस का मण्डी के कुंए पर क्षेत्र के शहर के गणमान्य लोगों द्वारा स्वागत किया गया। हाजी नईम कुरैशी, छम्मन पीरजी, अनीस, शहाबुद्दीन अंसारी, रियाज अंसारी, हाजी इरफान अंसारी ने बताया कि पैगम्बर मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन ने इस्लाम की खातिर यजीद के समक्ष सिर नहीं झुकाया। उन्होंने अपने 72 जांनिसारों के साथ युद्ध करना कबूल किया। मोहर्रम की दस तारीख को 72 जांनिसार हक की खातिर अपनी जान कुर्बान कर दी। जुलूस में हुसैनिया कमेटी के सदर इनाम खां, सुलेमान खां, इकराम खां, साजिद खां, खलीफा फकीरा खां, खलीफा कशीश खां शामिल रहे। जुलूस का स्वागत करने वालों में कालू खां, बाबर खान, सहराज खान, मेहरबान खान, रहमान खान, बबलू खान, टिंकू खान आदि शामिल रहे।